Last modified on 23 मई 2018, at 17:26

हम / राकेश रंजन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:26, 23 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश रंजन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अगर आपने
उन्नति के पाँव
उलटी तरफ़
मोड़े हैं
मानवी बुनावट के ताने-बाने
तोड़े हैं

अगर आपकी नीतियाँ
जनता के भाग्य पर
बजर रहे
कोड़े हैं
अगर लकड़बग्घे
और गधे
आपके रथ के
घोड़े हैं

तो भले हम टूटे हैं
बिखरे हैं
थोड़े हैं
आपकी राह में
सबसे बड़े
रोड़े हैं

आपके निज़ाम में
जिन नामुरादों को
नहीं होना था
हम वही हैं
हमारी ग़लती है
कि सही हैं

अगर आप सरकार हैं
तो, हाँ,
हम गद्दार हैं !