भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हरियर हरियर मोर मड़वा में दुलरू वो / छत्तीसगढ़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हरियर हरियर मोर मड़वा में दुलरू वो
काँचा तिली के तेल

कोने तोर लानिथय मोर हरदी सुपारी वो
कांचा तिली के तेल

ददा तोर लानिथय मोर हरदी सुपारी वो
दाई आनय तिली के तेल

कोन चढ़ाथय तोर तन भर हरदी वो
कोन देवय अंचरा के छाँव

फूफू चढ़ाथय तोर तन भर हरदी वो
दाई देवय अँचरा के छाँव

राम-लखन के मोर तेल चढ़त थे
बाजा के सुनव तुमन तान