हरि नाम सजीवन साँचा, खोजो गहि कै ।। टेक।।
रात के बिसरल चकवा रे चकवा, प्रात मिलन वाके होइ
जो जन बिसरे राम भजन में, दिवस मिलनवा के राती।।
ओहि देसवा हंसा करु प्याना, जहाँ जाति ना पाँती
चान सुरुज दु मोसन बरिहैं, कुदरत वाके बाती।।
सुखल दह में कमल फुलाएल, कड़ी-कड़ी रहि छाती
कहे तोले सुन गिरधर योगी, हुलसत सद्गुरु के छाती।।