भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हरि मेरा बेड़ा पार करो / शिवदीन राम जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरि मेरा बेड़ा पार करो |
दया राह शिवदीन दीन की विनती चित्त धरो ||
नाना दुःख सहे बहुतेरे, काम क्रोध लोभादि घेरे |
कहाँ शान्ति है इस दुनियां में, भ्रम भव दुःख हरो ||
भटक्यो जनम-जनम धर योनी, आशा तृष्णा छांडे कोनी |
जनम मरण का चक्कर अद्भुत, जनमों और मरो ||
अबकी बेर पार कर नैया , राम सियावर कृष्ण कन्हैया |
और उपाय कछु ना सूझत , यांते शरण परो ||
नरतन सफल बने बनि जाये,प्रेमभक्ति मन सहज ही पावे |
पारस परसि कुधातु लोहा , सुवरण होय खरो ||