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हर-बार तू गिला करऽ / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

हर-बार तू गिला करऽ।
पर प्यार से मिला करऽ॥

लाज-शरम के छोड़ के।
तू हमरा से मिला करऽ॥

छोर-छीन के रस्ता पर।
कुछ त दोसर के दिया करऽ॥

चिन्ता-फिकिर के आन्ही में।
हंस-मुसकाके रहा करऽ॥

हर-बार के जीतला की हए।
एकबार त तू हारा करऽ॥