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हर तरह के फूल का बूटा लगाया जाता है / प्राण शर्मा


हर तरह के फूल का बूटा लगाया जाता है
घर के आँगन को सदा सुन्दर बनाया जाता है

आसमाँ तक कब भला उसको उठाया जाता है
मिट्टी का घर भी कहीं ऊँचा बनाया जाता है

धीरे- धीरे मुँह बना कर देखना सबको तेरा
इतना तो बतला कि ये किसको चिढ़ाया जाता है

प्यार के धागे में अब तो बाँध ले मुझको सनम
एक बच्चे-सा मुझे क्यों बरगलाया जाता है

कैसी उलझन, कैसी अड़चन, कैसी है ये चुपचुपी
हाल दिल का अपने को कुछ तो सुनाया जाता है

शब्दार्थ
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