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हर रास्ते की मंज़िल है / सोलोमन ओचवो-ओबुरु / राजेश चन्द्र

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हर रास्ता
कहीं तो
पहुँचता ही है

आज नहीं
तो कल
यह होगा ज़रूर

वे जो
अपने रास्तों में
सोए पड़े हैं
उनके लिए
कोई भी रास्ता
नहीं पहुँचता कहीं

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र

लीजिए, अब मूल अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़िए
       Solomon Ochwo-Oburu
       Cock in Maternity Ward