हल्की गर्म शाम थी वह
जब हमने देखा
झील में चमक रही थी
सूरज की मेखा
कुबड़े पेड़ झुके खड़े थे वहाँ
श्वेत राजहँस तैर रहे थे जहाँ
दिन बीत रहा है,
उसने कहा
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
हल्की गर्म शाम थी वह
जब हमने देखा
झील में चमक रही थी
सूरज की मेखा
कुबड़े पेड़ झुके खड़े थे वहाँ
श्वेत राजहँस तैर रहे थे जहाँ
दिन बीत रहा है,
उसने कहा
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय