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हल कोई मसअला नहीं होगा / हरि फ़ैज़ाबादी

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हल कोई मसअला नहीं होगा
जब तलक हौसला नहीं होगा

कोशिशें कीजिए तो फिर दिल से
दूर कैसे गिला नहीं होगा

दूरियों की वजह से मत कहिये
पास का सिलसिला नहीं होगा

दिन निकलने दें, रात में दिन का
ठीक से फैसला नहीं होगा

बेवजह कोई काम मत कीजे
रेत में बुलबुला नहीं होगा

कौन कहता है दौर-ए-हाज़िर में
नेकियों से भला नहीं होगा

भूख वो लोग कैसे समझेंगे
पेट जिनका जला नहीं होगा