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हवाई थैला / मदन कश्यप

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एक बड़ा सा एअर बैग है

जिसे हम कहते हैं हवाई थैला

यह केवल अनुवाद नहीं है हमारी भाषा में

इसके हवाई होने का अपना अर्थ है


इस थैले में सिमट आता है

हमारा छोटा सा संसार

जरूरी कपड़े

अगल बगल के खलों में किताबें

ब्रश और रेजर

नहाने का साबुन

जूते पोंछ कर फेंक देने के लिए

पुरानी फटी गंजियों के कुछ टुकड़े


इन्हीं गडमड चीजों के बीच छुपी होती है

बिटिया की हंसी

पत्नी की हिदायतें

और फ्रेम से बाहर निकल कर

बोलने बतियाने वाली फ्रेंच पेण्टिंग की एक जोड़ी आंखें

बेहद कठिन समय और दुर्गम यात्रााओं में भी

मुझे एकटक निहारती होती हैं

इस हवाई थैले को और गहरा और रहस्यमय बनाती हुई

जहां हमेशा ही चीजों से ज्यादा होती है यादें


कितनी कितनी यात्रााएं

कैसी कैसी यात्रााएं

धरती से कहीं अधिक उम्मीदों के भूगोल में की गयीं यात्रााएं

और हर बार जिस तरह हमारा एक हिस्सा

छूट जाता है सफर पर जाने से

उसी तरह उन तमाम चीजों का कुछ कुछ थैले में होता है

जो हमारे साथ यात्राा में नहीं होतीं


ऐसा विश्वास कि कभी कभी भूख प्यास लगने पर

देर तक इस थैले में कुछ ढूंढते रहते हैं हम

यह जानते हुए कि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है

हर बार अपने ज्ञान से ज्यादा हम इस थैले पर यकीन करते हैं

और यह हवाई थैला भी कुछ न कुछ तो ऐसा रखता ही है

कि उम्मीद न टूटे

कई बार स्मृतियां ही कुछ खिला पिला देती हैं


यह होता है

तो बेहद अकेलेपन में भी

अकेला नहीं होने देता


यह जितना पुराना है

उससे कहीं ज्यादा पहले का है हमारा रिश्ता

वह तो तभी जुड़ गया था

जब हमारे कंधे में पैदा हुई थी

थैला लटकाने की आकांक्षा

हम कपड़े के पुराने झोले में देखा करते थे इसका अक्श


आते जाते बौंखते बउआते

एक दिन ऐसा आया जब मन को कड़ा किया

और अपने कस्बाई घर का सारा दुःख

इस थैले में डाल कर चले आये दिल्ली

यहां रहते हुए कुछ दिनों बाद पता चला

जितना दुःख हम थैले में ले आये

उतना ही रह गया है वहां

इस तरह देखते देखते दूना हो गया दुःख!