Last modified on 22 जुलाई 2010, at 08:22

हवा का विलाप-3 / इदरीस मौहम्मद तैयब

तुम्हारे और मेरे बीच जवान हसरतों की दुनिया है
और धीरे धीरे सरकता बुढ़ापा
मैं पतझर के चेहरों में उलझा हूँ
और तुम वसन्त के दिल में खिल रही हो ।

रचनाकाल : 21 अगस्त 2005, रोम

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस