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हवा जो चलती रहती है / अरविन्द कुमार

हवा जो चलती रहती है
आँख से देख नहीं पाते
    हवा को मैं ने देखा है
 
हवा नटखट सी बच्‍ची है
सदा इठलाती रहती है
सदा बल खाती रहती है
नए नित रूप दिखाती है
    हवा को मैं ने देखा है
 
ग़रीबी जब ठिठुराती है
अमीरी मौज मनाती है
हवा तब सनसन रोती है
हवा तब शोक मनाती है
    हवा को मैं ने देखा है
 
धूल जब ऊपर चढ़ती है
गर्व से सब पर हँसती है
ज़माना हैरत करता है
हवा मन मेँ मुसकाती है
    हवा को मैं ने देखा है