भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हवा तू उनसे जा कर कह दे / मोती बी.ए.
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:45, 29 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोती बी.ए. |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हवा तू उनसे जा कर कह दे इक दीवाना आया है
तेरी सूरत पे मरने वाला इक परवाना आया है
जब से मतवाली आँखों से आँखें हुई हैं चार
तुमको देखे बिना न तब से मिलता हमें क़रार
यहीं अफ़साना लाया है तेरा दीवाना आया है
हमको तुमसे तुमको हमसे दिल को दिल से काम
दिलवालों के लब पे रहता है दिलबर का नाम
अजब मस्ताना आया है तेरा दीवाना आया है
मिल जाए दीदार मुझे मैं हो जाऊँ क़ुरबान
एक झलक दिखला दो रानी दे दूँ अपनी जान
यहीं नज़राना लाया है तेरा दीवाना आया है