हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हां जी बमण बैठो अंगणा धी रै जमूंगी बमणा
के सरिआ मारू के होलरा हो ललणा
धी रै जणै तेरी अगड़ पड़ोसण देवर जेठानी
तैं जणेगी ललणा
केसरिआ मारू .......
ये नो ये दस मास होए सै जाम दिश ललणा
केसिरआ मारू ....
(अन्य संबंधियों के नाम लेकर इसे आगे बढ़ा लिया जाता है)