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हाइकु / जगदीश व्योम

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{{KKRachna
|रचनाकार=जगदीश व्योम
|संग्रह=हाइकू 2009 / गोपालदास "नीरज"
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
बादल रोयाउगने लगेधरती भी उमगीकंकरीट के वनउदास मन।  छिड़ा जो युद्धरोयेगी मानवताहँसेंगे गिद्ध।फसल उगी।
</poem>