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हाइकु 164 / लक्ष्मीनारायण रंगा

कुण जीत सी
मिनख कै विज्ञान
सोचै है समै


भारत भोम
आशुतोष ना बण
आंतकी बधै


कै‘वै पंछीड़ा
जुदा जात‘र बोली
कदै नीं लड़ां