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हाइकु 177 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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जनमें मौत
जनम रै सागै ई
जुड़वां दोनूं


होणी तो हुसी
कीं करियां नीं टळै
खुलो खेल नीं


अगूणी दिस
लगायलै दिनूगै
सूरज टीकी