भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 27 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 26 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मीनारायण रंगा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सै नै हंसावै
मन-मन में रोवै
खुद जोकर

हर गोपी नैं
लगाणा पड़ै चक्र
महारास में

पिंजरबंद
मैनावां भूल जावै
खुलै आभै नैं