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हाइकु 28 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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रचां साहित्य
पण रचां कद हां
खुदो खुद नैं?

सिराणै टंग्यै
कलैंडर सूं नीं लां
मौत रो ज्ञान

भस्मासुर तो
सदीव खुद हाथां
हुवै है भस्म