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हाइकु 96 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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राजकाज री
जे नहीं है लोकभासा
नीं लोकतंत्र


जन भासा में
नईं करणो राज
साफ अन्याय


राजस्थानी में
सै मांगों हो थे वोट
मन में खोट