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हाइकू - 3 / शोभना 'श्याम'

21
सच बेचारा
मुँह छिपाये बैठा
झूठ से हारा

सीना फुलाये
घूमता है फ़ख़्र से
झूठ आवारा

22
हारा है गाँव
विकास की चालों का
मारा है गाँव

जीता शहर
भावनाओं से मगर
रीता शहर

23
भ्रष्ट आचार
भारत में बैठा है
पाँव पसार

शैतानियत
अब तो कर चुकी
सीमाएँ पार

24
नन्ही गौरैया
दिल्ली से रूठकर
बैठी हो कहाँ

हाथ में रोटी
ले के मुन्ना बुलाये
चिया री आजा

25
सुर न ताल
आजकल ज़िन्दगी
है भेड़चाल

सब बुनते
एक दूजे के लिए
मकड़जाल

26
सजी हुई हैं
सुबह की पलकें
ओस कणों से

भरी हुई हैं
प्रभात के मन में
रात की यादें

27
नवेली धूप
छत से उतरती
संभाले रूप

बुजुर्ग धूप
आँगन में पसरी
फटके सूप

28
मृदुल गात
चांदनी का मधु पी
खोयी है रात

सोई है रात
फुसफुसा के तारे
करते बात

29
प्रेमी सूरज
रचाये महावर
उषा के पांव

चाँद रसिया
बिछाता हैं चांदनी
रात के गाँव

30
मस्त मगन
नदी में सारा दिन
तैरा गगन

जी भर खेली
चंचल लहरों से
सखी पवन