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हाइ, आहुन में साहु ॿुडी वियो / एम. कमल

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हाइ, आहुन में साहु ॿुडी वियो।
लहरुनि में दरियाहु ॿुडी वियो॥

धोपिजी वियो हर-हिकु समझौतो!
ऋतु पुसी पई, ठाहु ॿुडी वियो॥

पल-पल अखिड़ियूं भरिजी आयूं।
जीअण जो बस, चाहु ॿुडी वियो॥

वेरी हुल जी वीर चढ़ी आ।
दिल तारूं, अफ़वाहु ॿुडी वियो॥

दिल चरीअ बंद भञी छॾिया सभु।
सबुरु सुकी वियो, ॾाहु ॿुडी वियो॥