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"हाथी भैया कहां चले / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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थैले जैसा पेट‌ तुम्हारा, हाथी भैया कहां चले।
 
थैले जैसा पेट‌ तुम्हारा, हाथी भैया कहां चले।
जंलगल से तुम कब आए हो, बहुत दिनों के बाद मिले।
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जंगल से तुम कब आए हो, बहुत दिनों के बाद मिले।
  
पेड़ यहां अब नहीं बचे हैं, डालें कहां हिलाओगे।
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पेड़ यहाँ अब नहीं बचे हैं, डालें कहां हिलाओगे।
 
पत्तों का भी कहां ठिकाना, अब बोलो क्या खाओगे।
 
पत्तों का भी कहां ठिकाना, अब बोलो क्या खाओगे।
  
 
नहीं नलों में पानी आता, नदिया नाले हैं सूखे।
 
नहीं नलों में पानी आता, नदिया नाले हैं सूखे।
रहना होगा हाथी भैया, तुम्हें यहां प्यासे भूखे।
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रहना होगा हाथी भैया, तुम्हें यहाँ प्यासे भूखे।
  
 
कई शिकारी सर्कस वाले, पीछे पड़े तुम्हारे हैं।
 
कई शिकारी सर्कस वाले, पीछे पड़े तुम्हारे हैं।

13:01, 6 मई 2014 के समय का अवतरण

थैले जैसा पेट‌ तुम्हारा, हाथी भैया कहां चले।
जंगल से तुम कब आए हो, बहुत दिनों के बाद मिले।

पेड़ यहाँ अब नहीं बचे हैं, डालें कहां हिलाओगे।
पत्तों का भी कहां ठिकाना, अब बोलो क्या खाओगे।

नहीं नलों में पानी आता, नदिया नाले हैं सूखे।
रहना होगा हाथी भैया, तुम्हें यहाँ प्यासे भूखे।

कई शिकारी सर्कस वाले, पीछे पड़े तुम्हारे हैं।
पता नहीं किस पथ के नीचे दबे हुए अंगारे हैं।

अगर तुम्हें रहना है सुख से, जंगल में वापस जाओ।
ले खड़ताल मंजीरा भैया, राम नाम के गुण गाओ।