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हाथ जोड़ौ गुरु जी परणाम / गढ़वाली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हाथ जोड़ौ गुरु जी परणाम,
पैले<ref>पहले</ref> माया हरि को परणाम,
जौन उपजाई सकल संसार।

जुवार<ref>नमस्कार</ref> लगोंदू देवी जी पार्वती,
जींका सत से होये अनिधि पुराण।
जुवार लगोंदू गुरु जी गोरख
हाथ जोड़िक अरज गुरु जी गोरख।
मैंक देण गुरु जी सकल संसार,
चँद सूरज देण पौण<ref>पवन</ref> पाणी<ref>पानी</ref>
मैंक देण गुरुजी विधना<ref>ब्रह्मा</ref> को भार।

शब्दार्थ
<references/>