Last modified on 29 अगस्त 2008, at 20:10

हाथ लगे आज पहली बार / नागार्जुन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:10, 29 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हाथ लगे आज पहली बार

तीन सर्कुलर, साइक्लोस्टाइलवाले

UNA द्वारा प्रचारित

पहली बार आज लगे हाथ

अहसास हुआ पहली बार आज...

गत वर्ष की प्रज्वलित अग्निशिखा

जल रही है कहीं-न-कहीं, देश के किसी कोने में

सुलग रही है वो आँच किन्हीं दिलों के अन्दर...

'अन्डर ग्राउण्ड न्यूज़ एजेन्सी' यानि UNA

फ़ंक्शन कर रही है कहीं न कहीं!

नए महाप्रभुओं द्वारा लादी गई तानाशाही

ज़रूर ही पंक्चर होगी


तार-तार होगी ज़रूर ही

जनवाद का सूरज डूब नहीं जाएगा

गहन नहीं लगा रहेगा हमेशा अभिनव फ़ासिज़्म का...

अहसास हुआ पहली बार आज

छपरा जेल की इस गुफ़ा के अन्दर

ठीक डेढ़ बजे रात में


(रचनाकाल : 1975)