Last modified on 30 जून 2007, at 13:11

हाथ / गोरख पाण्डेय


रास्ते में उगे हैं काँटे

रास्ते में उगे हैं पहाड़

देह में उगे हैं हाथ

हाथों में उगे हैं औज़ार


(रचनाकाल : 1979)