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"हालात से इस तरह परेशान हुये लोग / अमित" के अवतरणों में अंतर

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बस अपनी जान के लिये बेजान हुये लोग
 
बस अपनी जान के लिये बेजान हुये लोग
 
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22:23, 28 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

हालात से इस तरह परेशान हुये लोग
तंग आके अपने आप ही इंसान हुये लोग<ref>यह शेर एक खुश-फ़हम भविष्य कथन (Prophesy) है।</ref>

जो थे खु़दी पसन्द<ref>अह्म ब्रह्मास्मि (अन-अल-हक़) के तरफ़दार</ref> उन्हे फ़िक्रे-ख़ुदा<ref>ईश्वर का ध्यान</ref> थी
जो थे खु़दा पसन्द<ref>वाह्याचारी</ref> वो हैवान हुये लोग

जिस खूँ से जिस्मो-जाँ<ref>शरीर और प्राण</ref> में हरारत<ref>गर्मी</ref> जुनूँ<ref>जुनून</ref> की थी
वो बह गया सड़क पे तो हैरान हुये लोग

ईमान फ़क़त हर्फ़े-तवारीख़<ref>इतिहास का शब्द। </ref> रह गया
इस दौर में इस क़दर बेईमान हुये लोग

अब दर्द के रिस्तों का जिक्र क्या करें ’अमित’
बस अपनी जान के लिये बेजान हुये लोग

शब्दार्थ
<references/>