भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाल चाल कांई बतावां भायला / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:59, 16 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आ सदी मिजळी मरै /...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हाल चाल कांई बतावां भायला
रोज लावां रोज खावां भायला
औ सूरज है म्हांरी अनमोल घड़ी
इणी सागै सोवां-जागां भायला
काल री काल देखसां सुण तो सरी
आज तो आ सांस बचावां भायला
निभै जित्तै तो निभाणो ई है धरम
मांय रोवां ऊपर गावां भायला
ठाह पड़ जावै तो करजै मत रीस
खुद सूं ई मूंडो लुकोवां भायला