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हाल दिल का सराब जैसा था / सिया सचदेव

हाल दिल का सराब जैसा था
इश्क़ दरअस्ल ख़वाब जैसा था

वो मिला एक ख़वाब की सूरत
इश्क़ जैसे हुबाब जैसा था

काश वो देख लेता आके मुझे
हाल खाना खराब जैसा था

हाँ उसे भूलना नहीं आसां
एक सच था जो ख़वाब जैसा था

उसने पानी में कुछ मिलाया था
ज़ायक़ा तो शराब जैसा था

सल्तनत छिन गयी थी उसकी मगर
फिर भी लहजा नवाब जैसा था