Last modified on 5 जून 2017, at 11:07

हिँडाइ / धिरज राई

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:07, 5 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धिरज राई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब-जब तिमी
मेरो छेवै भएर जान्थ्यौ,
तिम्रो हिँडाईको बहावसँग बयली खेलिरहन्थ्यो मुटु ।

तर अहँ,
कहिल्यै सोधिन त्यो हिँडाइलाई
मसँग आँखा जुध्दा बिग्रिने चालको रहस्य |