Changes

{{KKAnthologyDeshBkthi}}
<poem>
रचनाकाल: सन 1932
क्या हुआ गर मर गए अपने वतन के वास्ते,
बुलबुलें कुर्बान होती हैं चमन के वास्ते।
हिंदुओं को चाहिए अब क़स्द काबे का करें,
और फिर मुस्लिम बढ़ें गंगो-जमन के वास्ते!
 
रचनाकाल: सन 1932
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,100
edits