भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हिमाचल की औरतें / सफ़दर इमाम क़ादरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिमाचल की औरतें
ललचाती नहीं
सौ-पचास में
अद्वितीय सुन्दरी भी
नज़र आ जाती है
लेकिन उसेलेकर
भाग जाने को जी नहीं चाहता
थोड़ी देर देख कर
जी में ठंडक भर लेने से
काम चल जाता है
माल रोड पर
करवाचौथ की रात
शिमला की तमाम ख़ूबसूरत
औरतों के हुस्न
और सजावट के सैलाब में भी
पूए चांद की रौशनी में
टहलते हुए
उन दस-बीस हज़ार औरतों को
एक बार देखते हुए गुज़रना
काफ़ी मालूम हुआ
किसी-किसी शाम
छह-सात डिग्री तापमान के बावजूद
कोई हसीना हलके कपड़ों
स्वेटर और जैकेट के बग़ैर
खुले घेरों के सहारे
खुला निमंत्रण देने की कोशिश करती मिली
लेकिन उसके पीछे भागने की ख़्वाहिश नहीं हुई
क्या उन सुन्दरियों के सारे प्रोवेकेशन
यहाँ के पहाड़ों, धूप, आसमान
और हवाओं ने छीन लिए हैं !