भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हिम्मति ना हार्यो सजनवा / सुशील सिद्धार्थ
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:21, 28 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशील सिद्धार्थ |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हिम्मति ना हार्यो सजनवा
कि धीरे धीरे दुनिया बदलि देबै नाय।
मिटिहैं जुलुम के निसनवा
कि धीरे धीरे दुनिया बदलि देबै नाय॥
भूखेन का रोटी पियासेन का पानी
सुधुवन पर जब कउनौ लाठी न तानी
सुधरी कचेहरी और थनवा
कि धीरे धीरे दुनिया बदलि देबै नाय॥
लातन ना गउंजी जब हउसन का कोई
दौलति के आगे जब मेहनति ना रोई
जगर मगर होइहै ंसपनवा
कि धीरे धीरे दुनिया बदलि देबै नाय॥
आवौ तौ ई अंधरी खांइन का पाटी
रस्सिन का बेड़िन का मुस्कन का काटी
तागति ते भरि जइहै मनवा
कि धीरे धीरे दुनिया बदलि देबै नाय॥