Last modified on 18 अप्रैल 2011, at 14:11

हिरदा का भाव हाथ मैं जानिये / गोरखनाथ

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:11, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोरखनाथ |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> हिरदा का भाव हाथ मैं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हिरदा का भाव हाथ मैं जानिये
      यहु कलि आई षोटी ।
बद्न्त गोरष सुनो रे अवधू
     करवे होइ सु निकसै टोटी ।।