भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हिरोशिमा की पीड़ा / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna ||रचनाकार= }} category: कविताएँ किसी रात को <br> मेरी नींद आचानक उचट जात...)
 
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
||रचनाकार=
+
|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
 
}}
 
}}
[[category: कविताएँ]]
+
{{KKCatKavita}}
 
+
<poem>
 
+
किसी रात को
किसी रात को <br>
+
मेरी नींद चानक उचट जाती है
मेरी नींद आचानक उचट जाती है <br>
+
आँख खुल जाती है
आंख खुल जाती है <br>
+
मैं सोचने लगता हूँ कि
मैं सोचने लगता हूँ कि <br>
+
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का <br>
+
आविष्कार किया था
आविष्कार किया था <br>
+
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण <br>
+
नरसंहार के समाचार सुनकर
नरसंहार के समाचार सुनकर <br>
+
रात को कैसे सोए होंगे?
रात को कैसे सोये होंगे? <br>
+
क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही
क्या उन्हें एक क्षण के लिये सही <br>
+
ये अनुभूति नहीं हुई कि
ये अनुभूति नहीं हुई कि <br>
+
उनके हाथों जो कुछ हुआ
उनके हाथों जो कुछ हुआ <br>
+
अच्छा नहीं हुआ!  
अच्छा नहीं हुआ! <br><br>
+
  
यदि हुई, तो वक़्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा <br>
+
यदि हुई, तो वक़्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा
किन्तु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें <br>
+
किन्तु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें
कभी माफ़ नहीं करेगा! <br><br>
+
कभी माफ़ नहीं करेगा!  
 +
</poem>

17:09, 28 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

किसी रात को
मेरी नींद चानक उचट जाती है
आँख खुल जाती है
मैं सोचने लगता हूँ कि
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
आविष्कार किया था
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण
नरसंहार के समाचार सुनकर
रात को कैसे सोए होंगे?
क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही
ये अनुभूति नहीं हुई कि
उनके हाथों जो कुछ हुआ
अच्छा नहीं हुआ!

यदि हुई, तो वक़्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा
किन्तु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें
कभी माफ़ नहीं करेगा!