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हिलाँसी / भगवती चरण शर्मा 'निर्मोही'

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आज हिलाँसी<ref>एक पक्षी</ref> बड़ी सबेरी,
कख<ref>कहाँ</ref> से तु उड़िकी चलि आई?
बाटु<ref>रास्ता</ref> भुलीं या मेरा घर से,
रैबारू<ref>सन्देश</ref> बणिकी तैं आई!
औन्दी<ref>आली</ref> छै चुप कैकी औन्दी,
किलै<ref>क्यों</ref> सुणाई अपणी बोली?
आज अणमणो<ref>उन्मन</ref> छौं दिनभर मैं,
लगीं छ मन पर भारी गोली।

2.

भुलन बैठि छौं जब सब कुछ,
मैं बिसराई खुद<ref>याद</ref> तिन बौड़ाये<ref>लौटायी</ref>।
बच्चौं की प्यारा सजनू की
तरफ किलै सुरता<ref>ध्यान</ref> दौड़ाये?
बोल-बोल प्यारा पहाड़ से
क्या-क्या खबर अरी तू लाई?
एक-एक करिकी तैं सुणऊ
वख<ref>वहाँ</ref> की सब बातैं मैं थाई<ref>को</ref>।

3.

अजौं<ref>अभी</ref> रयों<ref>रहा</ref> छौ कि सूखिगे
गदनौं<ref>नदियों</ref> को सेल्वाणी<ref>ठंडा</ref> पाणी?
डाली-बुटली<ref>पेड़-बेल</ref> मौलि<ref>हरी-भरी</ref> गैन क्या
कतनि<ref>कितनी</ref> होइने आमू की दाणी<ref>दाने</ref>?
दुफरा<ref>दुपहर</ref> मा अब बजौन्द की ना
अलगोजा क्वी उलारु<ref>भावुक</ref> पराणी<ref>प्राणी</ref>?
ग्वैर<ref>ग्वाले</ref> गोरु माल्ही जाँदान क्या
तुमड़îों<ref>तुम्बी</ref> पर लटकैकी पाणी?

4.

हौर<ref>और</ref> सुणो तू मेरा घर पर आई
छै क्या कुछ बिपता<ref>मुसीबत</ref> सी?
म्यरी<ref>मेरी</ref> सैंजड्îा<ref>संगिनी</ref> देखि होली तिन<ref>तुमने</ref>
छाई ह्वली जैं<ref>जिस</ref> परैं उदासी।
रोज लोगु की नजर बचैकी
ह्वली बगौणी<ref>बहा रही</ref> ज्वा<ref>जो</ref> द्वी आँसू।
जाणदू छौं म्यरी हिलाँसी
प्राण च वीं<ref>उसका</ref> को भारी क्वाँसू<ref>कोमल</ref>।

5.

हाल बतैकी झटपट उड़िजा,
बात बतैदे सारा घर की।
निर्दय छन यख पकड़ि लेन्दान,
ये बात होईं या भारी डर की।
उड़ जा तू अपणी डाँड्यूँ<ref>चोटियों</ref> मा,
पे गंगा को ठंडो पाणी।
फेर<ref>फिर</ref> ना ऐ<ref>आना</ref> यख ना तू बोली,
होण दे मेरो निठुरो पराणी।

6.

यख को क्या रैबार<ref>सन्देश</ref> ल्हि जैली,
कैदी छौं कुछ बोलि नि सकदू।
बन्धन से ज्यादा दुनियाँ मा,
हैको<ref>दूसरा</ref> कुछ दुख होइ नि सकदू।
ये बन्धन तोड़णू कू तैं ही,
ये सब दुख सन<ref>को</ref> मैं सहणू छौं।
भूख-प्यास गर्मी-सर्दी को,
कष्ट भूलि की भी रहणू छौं।


7.

पर जरूर तू इथगा<ref>इतना</ref> बोली,
बड़ो सुखी छौं याद ना कैने।
औलो<ref>आऊँगा</ref>-औलो ईं आशा पर,
अपणा मन ब्यलमाई<ref>बुझाना</ref> रैने।
घबड़ाई की कुछ नी होन्दो,
कटदी जाला यख का ये दिन।
जनु कुछ भी हँसदो रोन्दो।

शब्दार्थ
<references/>