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हिलोर मारे गोरी / सुभाष चंद "रसिया"

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कन्हिया में बेग लेके चलेली सावरिया।
हिलोर मारे गोरी पतरी कमरिया॥

गोरिया चलेली जइसे सावन के बदरिया।
नयना चलावें जइसे बादर में अजोरिया।
घायल करेली हमके मार के नजरिया॥
हिलोर मारे गोरी पतरी कमरिया॥

नकिया तोहार गोरी सुगवा के ठोरवा।
गरवा में शोभे गोरी मोतीयन के हरवा।
कनवा में बाली जइसे चमकेले बिजुरिया।
हिलोर मारे गोरी पटरी कमरिया॥

सोलहो सिंगार पवन रस डोले।
तोहरा के देखी लोगवा बोली बोले।
बोलियाँ कुबोलिया से झुकेना नजरिया॥
हिलोर मारे गोरी पतरी कमरिया॥