Last modified on 29 अप्रैल 2015, at 17:56

हीरा मोती का गंज पड़िया / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हीरा मोती का गंज पड़िया
आता सा फलाणा राम फिसल पड़िया
दौड़ता-सा छोटा भई ने झेल लिया
घणीखमा हो दादा म्हारा घणीखमा
काय की तमखे दादा फिकर पड़ी
हमखे काव करने की फिकर पड़ी
वे तो दाल-कड़ी का गंज पड़िया
आता-सा जमई जी फिसल पड़िया
दौड़ती-सी बईरां ने झेल लिया
घणीखमा हो म्हारा राज घणीखमा
काय की फिकर तमखे पड़ी
संडास सोरने की फिकर हमखे पड़े