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"हुई थी मदिरा मुझको प्राप्त / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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− | + | नहीं, पर, थी वह भेंट, न दान, | |
− | + | अमृत भी मुझको अस्वीकार | |
− | + | अगर कुंठित हो मेरा मान; | |
− | ::: | + | :::दृगों में मोती की निधि खोल |
− | ::: | + | :::चुकाया था मधुकण का मोल, |
− | ::: | + | :::हलाहल यदि आया है यदि पास |
− | ::: | + | :::हृदय का लोहू दूँगा तोल! |
12:53, 26 मई 2010 का अवतरण
हुई थी मदिरा मुझको प्राप्त
नहीं, पर, थी वह भेंट, न दान,
अमृत भी मुझको अस्वीकार
अगर कुंठित हो मेरा मान;
- दृगों में मोती की निधि खोल
- चुकाया था मधुकण का मोल,
- हलाहल यदि आया है यदि पास
- हृदय का लोहू दूँगा तोल!