Last modified on 26 फ़रवरी 2009, at 07:29

हुक्म चलता है तेरा तेरी ही सरदारी है / सतपाल 'ख़याल'

 
हुक्म चलता है तेरा तेरी ही सरदारी है
तू है पैसा, तू ख़ुदा, तेरी वफ़ादारी है।

नंगापन भी तो यहाँ फ़न की तरह बिकता है
अब तो जिस्मों की नुमाईश ही अदाकारी है।

कट गया दिन तो मेरा भीड़ में जैसे-तैसे
लेकिन अब चाँद बिना रात बहुत भारी है।

गौर से देख जरा बीज से अंकुर फ़ूटा
ये ख़ुदा है ये उसी की ही ख़लक सारी है।

छोड़ दो जिद न करो हार चुके हो अब तुम
अब कोई दांव न खेलो तो समझदारी है।