Last modified on 6 मार्च 2017, at 10:59

हुण मैं अनहद नाद बजाया / बुल्ले शाह

हुण मैं अनहद नाद बजाया,
तैं क्यों अपणा आप छुपाया,

नाल महिबूब सिर दी बाज़ी,
जिसने कुल तबक लौ साजी,
मन मेरे विच्च जोत बिराजी,
आपे ज़ाहिर हाल विखाया।
हुण मैं अनहद नाद बजाया।

जद ओह लाल लाली पर आवे,
सुफैदी सिआही दूर करावे,
अङणा अनहद नाद वजावे।

आपे प्रेमी भौर भुलाया।
हुण मैं अनहद नाद बजाया।

शब्दार्थ
<references/>