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हुलसित हृदय अपार / श्वेता राय

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धन्य हुई जबसे आये तुम इन नयनो के द्वार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार

कुछ को देखा आते जाते
कुछ नैनो को तनिक न भाते
हिय के अम्बर में उड़ते हो तुम ही पंख पसार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार

साँसें तेरी धड़कन बनके
भाव जानती सारे मनके
अंतस पट पर तेरी छवि को मैंने लिया उतार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार

हुई मैं शापित तब तुम जाकर
आये हो बन देव यहाँ पर
तेरे साथ से पाया मैंने जीवन का आधार
प्रिय! हुलसित हृदय अपार