Last modified on 29 नवम्बर 2013, at 07:47

हूणियै रा होरठा (6) / हरीश भादानी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:47, 29 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश भादानी |संग्रह=बाथां में भूग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पीता गिटतौई रयौ
खाया घणा धमीड़
कीं तौ सांस उपाड़
रोळा करलै हूणिया

कवळा कवळा तोड़िया
ठरिया लिया मठार
लगा आंगळाी देख
खण खण उकळया हूणिया

आंता बळती आग नै
लीवी हाथां थाम
फिर-फिर चारूंमेर
लाय लगासी हूणिया

लीलां मंडसी काळजै
खुभसी बूंठा बैण
राख्यां एक उडोक
जींतौ जाजै हूणिया

म्हारी आंख्या सूं उडीक
थारा हुनरी हाथ
सांसां लियै परोट
बजै हरावळ हूणिया

तन थाकै बेगो घणौ
तन रा ओछा लाभ
चालै मन री चाल
अण थकियां ही हूणिया

आभौ बांध अंगोछियै
नदियां आडी पाळ
मांडै घर परवार
सिरजणहारा हूणिया

आंध्या उमट उजाड़ दै
गिटै ताड़का बाढ
फिर-फिर निवजै जूण
सिरजण्हारा हूणिया