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हेरा गइले बदरी में चनवां / भोजपुरी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हेरा गइले बदरी में चनवां<ref>चाँद</ref> रे गुइयां चैत महीनवां ।

पागल पवनवां सुमनवा बटोरे,
नरमी चमेलियन के बंहियां मरोड़े
पांख झारि नाचेला मोरवा रे गुइयां चैत महीनवां ।

कोइली के बोली मोरा जियरा जरावे,
घर-आंगन मोहे तनिको ना भावे
देवरा पापी निरखे जोबनवां रे गुइयां, चैत महीनवां ।

शब्दार्थ
<references/>