हे जी! हे जी! बदलग्यी ब्याह की इब वैं रीत / सत्यवीर नाहड़िया
हे जी! हे जी! बदलग्यी ब्याह की इब वैं रीत
चट मंगनी अर पट ब्याह हो इब, पल म्हं हुवैं नचीत
रोकणे का रंग-ढंग बदल्या, टिक्का अर सगाई बदल्ये
बाह्मणी अर नाय्ण बदल्यी, बाह्मण-तेली-नाई बदल्ये
भात का वो रूप बदल्या, भाण बदल्यी भाई बदल्ये
चौक पूरणा, बान बदल्या, गांठ हळदी सात बदल्यी
मांडा अर वो पाट्टा बदल्या, मूस्सळ की हालात बदल्यी
सतलगी, आरता, तोरण अर बारात बदल्यी
ईब सीठणे नहीं रहे वै, बदल गये सब गीत
खोडिय़ा इब रह्या नहीं, देहळी पूजन मान बदल्या
जयमाळा का रूप बदल्या, खान अर पान बदल्या
थापा बदल्या, नेग बदल्ये, समधी का सम्मान बदल्या
टूम बदल्यी, तीळ बदल्यी, कंगना संटी माई बदल्यी
बहू का वो आदर मान, बहू की नपाई बदल्यी
बंदड़ा-बंदड़ी के वै गीत, संग म्ह मुंह दिखाई बदल्यी
बड़े-बड़ेरे याद करैं इब, दिन लिए वै बीत
ब्याह-शादी म्हं भरता हो, इसा घाव रह्या ना
ठेक्के पै हों काम सारे, परेम-चाव रह्या ना
पैइसे का सै बोलबाला, आदर-भाव रह्या ना
भाईचारा रूस्या बैठ्या, उसकै धोरै गाळी पावैं
साळा बणर्या मोरधी, उसकै धोरै ताळी पावैं
भुआ-भाण पाच्छै छोड्यी, सबतै आग्गै साळी पावैं
कह ‘नाहडिय़ा’ बात पते की, नहीं रह्ये वै मीत