Last modified on 10 मार्च 2018, at 17:06

हे राम फिर ले जनम / ओम प्रकाश सेमवाल

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:06, 10 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम प्रकाश सेमवाल }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> त्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

त्रेता मा एकी तबै मारि सकि छौ तिन रावण हे श्रीराम।
जख देखा रावणै रावण भौत ये कळजुग हे श्रीराम।
बणौ फेर पलटण सजौ सेना हनुमान सुग्रीव हे श्रीराम।
जु छन बैरि दुष्ट समाजा सिखौ तौं सबक मार हे श्रीराम।