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हे शिक्षक / धीरज पंडित

हे शिक्षक! तोंय अगम ज्ञान के
अद्भुत श्रोत कहाबै छो।

बच्चा जब तुतराबै बोली
बाप-माय रंग धरी केॅ अँगुली
चलै के ज्ञान बताबै छो-हे शिक्षक...

प्रथम गुरु जब छोड़ै ध्यान
तबेॅ करै छो तोंय कल्याण
स्कूल में पाठ पढ़ावै छो-हे शिक्षक...

होय छै बच्चा पढ़ी जवान
एक दिन होय छै वही महान
ऐन्हो दीप जलाबै छो-हे शिक्षक

माता रंग ममता तोरो मिललै
पिता बनी जब उ फूल खिललै
कर्म के ज्ञान सिखावै छो-हे शिक्षक...

देश काल आरू ई समाज के
जग टिकलो तोरै सऽ आज के
जों सच्चा ज्ञान बताबै छो
हे शिक्षक! तोय अगम ज्ञान के
अद्भुत श्रोत कहावै छो।