Last modified on 1 अक्टूबर 2018, at 09:05

हैं पपीहे पिया बिन तड़पने लगे / रंजना वर्मा

हैं पपीहे पिया बिन तड़पने लगे ।
पी कहाँ पी कहाँ रोज़ रटने लगे।।

छू लिया चन्दनी वायु ने झूम कर
फूल सारे चमन के महकने लगे।।

फूल से तितलियाँ सब चिपक सी गयीं
झुण्ड आ पंछियों के चहकने लगे।।

बौर हँसने लगे खिल गया गुलमोहर
लो अमलतास के फूल खिलने लगे।।

दुंदुभी सी बजी भूप ऋतुराज की
मन लताओं के तरु से लिपटने लगे।।

था अँधेरा घना खूब काली निशा
पंक्ति में सारे जुगनू चमकने लगे।।

स्वर्ग से भी अधिक ये सुहानी धरा
देवता आगमन हित मचलने लगे।।