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"है क़फ़स में जिंदगानी क्या बताऊँ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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है क़फ़स में जिंदगानी क्या बताऊं
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दर्दे दिल की दास्तां किसको सुनाऊं?
  
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भागने के रास्ते हैं बंद सारे
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और भागूं भी अगर तो कहां जाऊं?
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टूट जायेगा किसी मासूम का  दिल
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वो अगर ख़ुश है तो क्यों उसको रुलाऊं?
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आग से भी डर लगे, तूफ़ान से भी
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फूस का है घर मेरा कैसे बचाऊं?
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गैस चूल्हा तो मिला है मुफ़्त में ,पर
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ये न सूझे क्या पतेली में पकाऊं?
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जो अंधेरों में जले हैं साथ मेरे
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उन चिराग़ों को भला कैसे बुझाऊं?
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बस यही हासिल रहा है ज़िंदगी का
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आंसुओं का घूंट पीकर मुस्कराऊं
 
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20:52, 18 मई 2021 के समय का अवतरण

है क़फ़स में जिंदगानी क्या बताऊं
दर्दे दिल की दास्तां किसको सुनाऊं?

भागने के रास्ते हैं बंद सारे
और भागूं भी अगर तो कहां जाऊं?

टूट जायेगा किसी मासूम का दिल
वो अगर ख़ुश है तो क्यों उसको रुलाऊं?

आग से भी डर लगे, तूफ़ान से भी
फूस का है घर मेरा कैसे बचाऊं?

गैस चूल्हा तो मिला है मुफ़्त में ,पर
ये न सूझे क्या पतेली में पकाऊं?

 जो अंधेरों में जले हैं साथ मेरे
उन चिराग़ों को भला कैसे बुझाऊं?

बस यही हासिल रहा है ज़िंदगी का
आंसुओं का घूंट पीकर मुस्कराऊं