है बात वक़्त वक़्त की चलने की शर्त है
साया कभी तो क़द के बराबर भी आएगा
ऐसी तो कोई बात तसव्वुर में भी न थी
कोई ख़्याल आपसे हट कर भी आएगा
मैं अपनी धुन में आग लगाता चला गया
सोचा न था कि ज़द में मेरा घर भी आएगा